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Aacharya Hajari Prasad Dwivedi: Vyaktitwa Ewam Sahitya (Hardbound - 1989)

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9788126905638_OWN
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About the Book

हिन्दी साहित्य के विकास में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी का महत्त्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने हिन्दी गद्य की विभिन्न विद्याओं-समीक्षा, साहित्येतिहास, निबन्ध, उपन्यास आदि के क्षेत्र में अपनी कृतियों द्वारा नये आयाम स्थापित किए हैं। प्रस्तुत कृति में आचार्य द्विवेदी के व्यक्तित्व एवं साहित्य के प्रमुख पक्षों का विवेचन-विश्लेषण करने का प्रयास किया गया है। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि यह सबसे पहली कृति है जिसमें आचार्य द्विवेदी के साहित्य का मूल्यांकन प्रस्तुत करने की सर्वप्रथम चेष्टा की गयी थी, इस दृष्टि से इसका ऐतिहासिक महत्त्व भी है।
प्रांरभिक लेख में जहाँ आचार्य द्विवेदी के व्यक्तित्व एवं जीवन-दर्शन का विवेचन अत्यन्त संक्षेप में प्रस्तुत किया गया है वहाँ अन्य लेखों में क्रमशः उनके आलोचक, इतिहासकार, निबन्धकार एवं उपन्यासकार को लिया गया है। आलोचक रूप से अन्तर्गत क्रमशः आचार्य द्विवेदी की साहित्यिक मान्यताओं, उनकी समीक्षा की मानवतावादी भूमि, प्रगतिशीलता, आधारभूत सिद्धान्त, समीक्षा-शैली आदि का विवेचन अनेक अधिकारी विद्वानों द्वारा प्रस्तुत किया गया है। निबन्धकार के अन्तर्गत उनके निबन्ध साहित्य के विभिन्न पक्षों-साहित्यिक, सांस्कृतिक, मानवतावादी दृष्टि, शिल्प, शैली आदि-का विश्लेषण सम्यक् रूप में हुआ है। उपन्यासकार के अन्तर्गत मुख्यतः 'बाणभट्ट की आत्मा कथा' के आधार पर उसके विभिन्न अंगों एवं तत्त्वों का विवेचन हुआ है। इनके अतिरिक्त इतिहासकार, भक्ति साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान, भारतीय संस्कृति के व्याख्याता आदि रूपों में भी आचार्य द्विवेदी का मूल्यांकन इसमें प्रस्तुत है।
पुस्तक की सबसे बड़ी विशेषता है लगभग तीस विद्वानों द्वारा द्विवेदी-साहित्य के विभिन्न रूपों एवं पक्षों का सर्वथा स्वतंत्र एवं निजी दृष्टि से मूल्यांकन, जिसके फलस्वरूप विभिन्न दृष्टिकोणों, मतों एवं निष्कर्षों का समूच्चय इसमें उपलब्ध है।

About the Authorडॉ॰ गणपतिचन्द्र गुप्त (1928 ई॰) हिन्दी के यशस्वी साहित्यकार एवं समालोचक हैं। आपने क्रमशः पंजाब विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में एम॰ए॰ (हिन्दी), पी-एच॰डी॰ एवं डी॰ लिट्॰ की उपाधियाँ प्राप्त कीं। उन्होंने 1964 से 1978 ई॰ तक विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिन्दी साहित्य का प्राध्यापन कार्य किया। 1974 ई॰ में पंजाब विश्वविद्यालय-स्नातकोत्तर अध्ययन केन्द्र, रोहतक के निदेशक पद पर प्रतिष्ठित हुए। तदनन्तर 1976 से 1978 ई॰ तक महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक में कुलानुशासक, अधिष्ठाता, भाषा-संकाय आदि पदों पर कार्य किया। 1978 ई॰ से 1984 तक हिमालय प्रदेश-विश्वविद्यालय, शिमला एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र में क्रमशः कुलपति के रूप में कार्य किया।

More Information
ISBN139788126905638
Product NameAacharya Hajari Prasad Dwivedi: Vyaktitwa Ewam Sahitya (Hardbound - 1989)
Price₹250.00
Original PriceINR 250
AuthorGanpati Chandra Gupt
PublisherAtlantic Publishers and Distributors (P) Ltd
Publication Year1989
SubjectHindi Literature
BindingHardbound
LanguageHindi
Pages286
Weight0.290000
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